Sunday, December 14, 2014

लव-जिहाद, धर्मांतरण, गाँधी-गोडसे, Communal Politics, BJP-संघ, भारतीय मीडिया और रांची

पिछले दिनों लव-जिहाद की काफी चर्चा हुई ..... लगभग हर न्यूज़ चैनेल ने इस मुद्दे पे BJP/संघ को कटघरे में खड़ा किया, कहा गया की UP उपचुनावों को देखते हुए ऐसी स्ट्रेटेजी बनाई BJP/संघ ने ...... ठीक, मैने भी मान लिया की रांची उत्तर प्रदेश में ही है (संदर्भ - तारा सहदेव कांड) ..... फिर उपचुनावों में BJP हार गई, मीडिया ने स्टोरी चलाई की जनता ने BJP की hate-politics को reject कर दिया है, आज भी जब भी किसी टीवी डिबेट में न्यूज़ एंकर के पास जब rhetoric कम पड़ जाते हैं, तो वो सीधे सीधे BJP प्रवक्ता को इसी मुद्दे पे ले आता है, और पुर देश से क्षमा मांगने को कहता है ...... खैर, आगे बढ़ते हैं, मेरट वाली पीड़िता ने हाल ही में बयान बदल दिया .... चारों ओर त्राहिमाम मच गया, मीडिया और दूसरी पार्टियों ने लव-जिहाद को धता बता हुए पूरे संघ परिवार को ही कठघड़े में खड़ा कर दिया, कहा गया की ये टर्म ही फेक था, BJP/संघ की घिनौनी राजनीति से उपजा था, और ऐसा कुछ भी हिंदुस्तान में कभी रहा ही नहीं ...... ठीक, मैने भी मान लिया की रांची अब भारत का हिस्सा ही नहीं है (संदर्भ - तारा सहदेव कांड में status-quo maintained है अभी तक शायद) ...... इस संदर्भ में एक और पॉइंट जो मायने रखता है, वो ये है की नक़वी साब और शाहनवाज के नाम उछाले गये मीडिया, कॉंग्रेस और AAP के द्वारा, कहा गया की लव-जिहाद के जीते-जागते उदाहरण हैं दोनों ..... ठीक, मैने भी मान लिया की लव-जिहाद और अंतर-धर्म विवाह एक ही हैं शायद ..........


पिछले कुछ दिनों से धर्मांतरण एक बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ है ..... मीडिया और विपक्ष ताबरतोड़ हमले कर रहा है BJP और संघ ..... क्यों ना हो, भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार जो हुआ है, सो मैने भी मान लिया रांची भारत में हो ना हो, एसिया में तो है ही (संदर्भ - एशिया के सबसे बड़े पागलख़ानों में से एक है वहाँ) ......

अभी गाँधी-गोडसे मामला भी बहुत गर्म है ....... कारण - एक BJP MP ने गोडसे को राष्ट्रभक्त बोलने का महापाप कर दिया ...... अरे तो क्या, जो माफी मांग ली, बोलने की हिम्मत कहाँ से जुटाई आखिर, हाउ डेयर ही सेड सो ...... अरे जानते भी गाँधी कौन है, तो क्या हुआ जो उन्होने ........................ (ये फिर कभी, लम्बी कहानी है) ....... खैर, रांची है जी (संदर्भ - वही एशिया का सबसे बड़ा पागलखाना) ..... मान लिया ......

अब communal politics पे तो BJP और संघ का copyright reserved है exclusively, मैं भी मानता हूँ ....... मामला चाहे गोधरा में निर्दोष कारसेवकों को जला के मारने का हो, या सहारनपुर में उन दोनों हिन्दू लड़कों को मार कर दंगे भड़काने का, या भागलपुर दंगे का, या फिर 1984 के दंगों का ..... चलो मान लिया, रांची है तो सही ....

Tuesday, March 20, 2012

तुम्हें कुछ कहना
या चुप रहना
एक जैसी बातें हैं .....
 
दिल कहता है,
तुम्हारी खामोशी का इंतज़ार कर लूं ...
या फिर कुछ यूं ही कह दूं .....
और हमेशा की तरह
झिड़क के तुम
खामोश कर दो ............
 
बस ..............

Monday, March 5, 2012

यहीं घर था कभी ............

ताउम्र देखता रहूँगा उस कमरे को ..............

कल मिले थे, साथ जीने-मरने की कसमें खायीं थीं कभी, फिर तू गया, गयी मेरी ज़िन्दगी भी तेरे पीछे ..........

आज मैं इस कब्र में हूँ, तू मेरे सामने वाले कब्र, उसी कमरे में, बेसुध पड़ा है .........

तू सामने है, काफी है, यहीं घर था कभी, आज कब्र है,
और तू मेरे साथ जीने-मरने की कसमें निभा रहा है ...........

Tuesday, March 8, 2011

गुम कहीं शायद ............


किसी नदिया की तरह बहा कर
मुझे ये ज़िन्दगी जाने कहाँ ले आई है ...........................

भीड़ में गुम सा, रास्तों से अनजान
देखता हूँ जब कभी इधर -उधर
कुछ जाने पहचाने चेहरे भी दिख रहे हैं इस शहर में
पर कोई मुझे नहीं देख रहा
जाने क्यों सब अपने-आप में मशगुल हैं .................

हर शहर में एक जैसी इमारतें
एक जैसी शक्लें ......................

लग रहा है जैसे ये नदिया मेरे
साथ मेरी तन्हाई को भी बहा लाई है ...............

Friday, March 4, 2011

अंतर-मंथन ....................

मुरझा गए सारे फूल
या कलियाँ खिलने को है
कहानी ख़त्म हो गई या
शायद शुरू होने को है ..............

हर पल नई राहें
दिखाती ये ज़िन्दगी
न जाने क्या अगले
मोड़ पे होने को है ................

कभी कभी बस यूँ
अनायास ही खो जाता हूँ
सोचने लगता हूँ
क्या सच में कुछ खोने को है ..............

कुछ खोने को है
या फिर कहीं किसी चीज़ पर
नाम लिखा है मेरा ................

धडकन चल रही है
या नया जन्म होने को है .............

Friday, January 14, 2011

इक ख्वाब ......

यूं दिल में उतर आना
सब छोड़ के बस चले जाना
मुड़ के देखना और फिर
दौड़ के बाहों में लिपट जाना
यूं टूक से घूरना
फिर पलकें झुकाना
एक गहरी सांस लेकर
इन बांहों में सिमट आना
सुंदर है ये ख्वाब
तेरा आना, आकर चले जाना

..................... Gunjan Jha on Thursday, January 13, 2011 at 6:37am

Friday, December 17, 2010

भूख ..........


कुछ सोते हैं भूखे यहाँ, कुछ तो भूख से ही मर जाते हैं,

अपनी थाली से एक रोटी निकाल कर किसी भूखे को खिलाते हैं ..........

इसके बाद जाने क्या हो जाये, चलो आज को ही बेहतर बनाते हैं,

कुछ तुम करो कुछ हम करें, मिल कर इक दुनिया नयी बनाते हैं ............


This picture has been taken from ISHI website ..