Friday, December 17, 2010

अच्छा ख्वाब है ... शायद ..

हम कभी होते हैं,
और कभी नहीं भी,
काश हमारे होने बस से,
दुनिया बदल जाती,
दिन में रात होती,
और रात कभी आती नहीं,
ना कोई भूखा सोता,
ना कोई भूख से मरता,
बेरोज़गारी जैसा
कोई शब्द ही ना होता,
सब खुश होते,
सब सुखी होते,
दिवाली होती हर दिन,
और हर रात को
ईद का चाँद निकलता .........
अच्छा ख्वाब है,
एक एहसास भी है ........
कभी ना कभी तो दुनिया बदलेगी .........
............ शायद .......

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