Friday, March 4, 2011

अंतर-मंथन ....................

मुरझा गए सारे फूल
या कलियाँ खिलने को है
कहानी ख़त्म हो गई या
शायद शुरू होने को है ..............

हर पल नई राहें
दिखाती ये ज़िन्दगी
न जाने क्या अगले
मोड़ पे होने को है ................

कभी कभी बस यूँ
अनायास ही खो जाता हूँ
सोचने लगता हूँ
क्या सच में कुछ खोने को है ..............

कुछ खोने को है
या फिर कहीं किसी चीज़ पर
नाम लिखा है मेरा ................

धडकन चल रही है
या नया जन्म होने को है .............

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