ताउम्र देखता रहूँगा उस कमरे को ..............
कल मिले थे, साथ जीने-मरने की कसमें खायीं थीं कभी, फिर तू गया, गयी मेरी ज़िन्दगी भी तेरे पीछे ..........
आज मैं इस कब्र में हूँ, तू मेरे सामने वाले कब्र, उसी कमरे में, बेसुध पड़ा है .........
तू सामने है, काफी है, यहीं घर था कभी, आज कब्र है,
और तू मेरे साथ जीने-मरने की कसमें निभा रहा है ...........
कल मिले थे, साथ जीने-मरने की कसमें खायीं थीं कभी, फिर तू गया, गयी मेरी ज़िन्दगी भी तेरे पीछे ..........
आज मैं इस कब्र में हूँ, तू मेरे सामने वाले कब्र, उसी कमरे में, बेसुध पड़ा है .........
तू सामने है, काफी है, यहीं घर था कभी, आज कब्र है,
और तू मेरे साथ जीने-मरने की कसमें निभा रहा है ...........
भैया, छुपा कर रखा हुआ था आपने|
ReplyDeleteबहुत खूब भैया .......
तू सामने है, काफी है, यहीं घर था कभी, आज कब्र है,
और तू मेरे साथ जीने-मरने की कसमें निभा रहा है ...........
बहुत बहुत धन्यवाद चन्दन भाई ..........
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